मध्य प्रदेश में उपचुनाव का घमासान, जानिए विधानसभा चुनाव के 4 अहम फैक्टर्स!
मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहा है… अब एक साथ इतनी सीटों पर उपचुनाव से ये किसी मिनी विधानसभा चुनाव की तरह लग रहा है. इसके अलावा ये उपचुनाव मध्य प्रदेश के कुछ दिग्गज नेताओं के राजनीतिक किस्मत को लेकर भी एक दांव की तरह है. जिनमें खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और सबसे अहम, जो पूरी लड़ाई के केंद्र बिंदु हैं कांग्रेस को तगड़ा झटका देकर बीजेपी में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया.
इससाल मार्च में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी ताकत दिखाई और अपने समर्थक विधायकों के साथ कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया. इसके बाद कमलनाथ सरकार अप्लमत में आई और गिर गई. फिर एक बार राज्य में शिवराज सिंह चौहान ने सरकार बना दी. अब इस पूरे राजनीतिक घटनाक्रम के बाद मध्य प्रदेश में ये सबसे बड़ा उपचुनाव है….तो ऐसे में इन उपचुनावों के नतीजे क्या हो सकते हैं? क्या कमलनाथ इतनी सीटें हासिल कर पाएंगे कि वो वापसी कर पाएं? या फिर शिवराज-सिंधिया का नया गठजोड़ खुद का लोहा मनवाने में कामयाब रहेगा?
मौजूदासमीकरण की बात करें तो 230 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी के पास कुल 107 सीटें हैं. साथ ही बीजेपी को 4 निर्दलीय विधायकों, दो बीएसपी विधायकों और एक समाजवादी पार्टी से सस्पेंडेड विधायक का समर्थन है…..लेकिन अब शिवराज सिंह चौहान अन्य विधायकों पर निर्भर नहीं रहना चाहेंगे, इसीलिए बीजेपी को इस उपचुनाव में 28 में से कम से कम 9 सीटें जीतनी जरूरी होंगी। जिससे वो अपने दम पर बहुमत के आंकड़े को पार कर जाएंगे।
सीएम शिवराज सिंह चौहान को अपनी खुद की जीत के लिए 28 सीटों में से कम से कम आधी सीटें तो जीतनी होंगी. साथ ही इससे पार्टी में उनके खिलाफ उठने वाले सुरों को भी दबाने में मदद मिलेगी. कुल मिलाकर उनकी कुर्सी बची रहेगी….अब दूसरी तरफ कांग्रेस की अगर बात करें तो उसके पास फिलहाल 88 विधायक हैं. अगर कांग्रेस को बहुमत का आंकड़ा पार करना है तो उसे सभी 28 सीटों पर जीत हासिल करनी होगी, जो फिलहाल तो काफी मुश्किल दिख रहा है।
हालांकि कमलनाथ के कुछ करीबियों का ये भी मानना है कि अगर कांग्रेस को 20-21 सीटें भी मिलती हैं तो ये काफी होंगी. अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस बीजेपी के विधायकों में सेंध लगा सकती है और साथ ही निर्दलीय विधायकों और समाजवादी पार्टी के विधायक को अपनी तरफ खींचने की कोशिश कर सकती है। वहीं बीएसपी पहले ही बोल चुकी है कि वो किंगमेकर साबित हो सकती है. इससे पार्टी ने साफ कर दिया कि वो किसी भी तरह जा सकती है. साथ ही पार्टी ने इस उपचुनाव में करीब हर सीट पर अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है।
.अब अगर बीजेपी और कांग्रेस कोई भी बहुमत के आंकड़े से पीछे रहता है तो इस सूरत में बीएसपी और निर्दलीय विधायकों के लिए ये एक फायदे का सौदा साबित होगा।
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